
आधुनिक भारत के प्रणेता युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जी को कोटि -कोटि प्रणाम.आज उनके जन्मदिवस पर हम सारे भारतवासी ह्रदय से उनको भारत निर्माण में अप्रतिम योगदान के लिए याद करते है.आज जब सब ओर से युवाओं को लेकर बात चल रही है.राजनीतिक पार्टियाँ युवाओ को मोहने में लगी हुई है.स्वामी विवेकानंद जी कि प्रासंगिकता और भी शिद्दत से महसूस कि जा रही है.चूंकि उन्होंने उस वक़्त युवाओं का आह्वान किया था जब अन्य लोगों को अनुभव ही सफलता का तकाजा लगता था.युवा मात्र बालकसुलभ कार्यों के लिए ही जाने जाते थे.राष्ट्रवाद,जन -जागरण,समाज -सुधार इत्यादि राष्ट्र निर्माण से जुड़े मुद्दों पर युवाओं को 'अनफिट' मान आजाता था.यद्यपि आज से एक शताब्दी पूर्व ऐसे दकियानूसी विचारों का विरोध करना आसान न था लेकिन विवेकानंद जी ने ऐसे रूढ़िवादियों का डटकर सामना किया.उन्होंने अपने तर्कों से उनकी बोलती बंद कर दी.शायद यही कुछ कारण थे जो उन्हें नरेन्द्रनाथ से स्वामी विवेकानंद तक ले गये.अपने समकालीनों से युवा सम्राट स्वामी विवेकानंद जी कहीं आगे मिलते है.आज भी अपने विचारों के माध्यम से हमारे दिलों में वास करते है.सन 1893 में शिकागो के धर्म सम्मेलन में विश्व पटल पर अपने पहले ही व्यक्तव्य से उन्होनें पूरी दुनिया को अचंभित कर दिया था.उन्हें भारत के धर्म-प्रतिनिधि के रूप में मात्र दो मिनट का वक़्त दिया गया था लेकिन उनके उनके शुरूआती शब्द "मेरे प्यारे भाई एवम बहनों................................"ने उपस्तिथ जनों का मन मोह लिया करीब पांच मिनट से अधिक वक़्त तक तालिया ही बजती रही,आखिरकार उनका वक़्त बढ़ाना पड़ा.इसके बाद तो विवेकानंद जी पूरे विश्व पर छा गए.विवेकानंद जी कि प्रतिभा के कायल उनके समकालीन भी रहे है.जिसमे महात्मा गाँधी,सुभाष चन्द्र बोस एवम अरविंदो घोष प्रमुख है.सुभाष जी के शब्दों में "विवेकानंद जी युवाओं के सच्चे मार्गदर्शक हो सकते है"।उनकी यह उक्ति आज सत्य साबित हो रही है.आज पूरे देश में जश्न का माहौल है.विवेकानंद जी द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन पूरे विश्व में मानव सेवा में सक्रीय है.इस रूप में विवेकानंद जी आज भी हमारे बीच मौजूद है.उनकी प्रासंगिकता अनवरत बढ़ ही रही है.भारत सरकार ने आज के इस मुबारक मौके पर "युवा- एक्सप्रेस " शुरू कर एक स्वश्थ्य परम्परा की नीव रखी है।जो स्वागत योग्य है.