माया की 'माया'
आज जब पूरा देश महंगाई की मार से कराह रहा है.दो जून की रोटी भी मुश्किल से जुटा पा रहा है.ऐसे में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा नोटों की माला पहनना शर्मनाक है.देश की आम जनता को एक गाली है.देश का आबादी के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य आज उद्योग-धंधो जैसे अनेक बुनियादी मोर्चों पर हासिये पर है.एक मुख्यमंत्री के रूप में मायावती द्वारा उस और कोई ध्यान ही दिया जा रहा है.लगता है धन के मद में मायावती ये भी भूल गयी है कि वो एक सम्वैधानिक पद पर है व उत्तर-प्रदेश कि अवाम के प्रति उनकी पूरी जवाबदेही है.एक और तो बरेली कि जनता दंगों के चलते दहशत में थी उस समय धन का ऐसा भौंडा प्रदर्शन पूरे लोकतंत्र पर तमाचा है.सारे राजनितिक दल इस बात से खासे खफा दीख पड़े व उनके द्वारा इसका विरोध जायज़ है.जहां मायावती अपने को दलित की बेटी बता समाज के दुर्बल वर्ग की सहानुभूति बटोरती रही है,लेकिन अब उनका असली रंग सामने आ रहा है.अपने इस कृत्य पर बजाय माफ़ी मांगने के वो भविष्य में भी ऐसा करने की हुंकार भर रही है.निश्चित रूप से अब लालबहादुर जी जैसे नेता ओझल हो गये है, लेकिन राजनीतिज्ञों में ऐसा नैतिक पतन शोचनीय है.केंद्र सरकार व महामहिम राष्ट्रपति जी से गुजारिश है कि वो इस मामले में हस्तक्षेप करें.
Wednesday, March 17, 2010
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