Tuesday, September 14, 2010

दस्तक

दस्तक
पुलिस महकमे में भी है जहनी लोग......

आज चंद घंटो पहले विश्वविद्यालय  मेट्रो स्टेशन  के पास कुछ ऐसा घटा जिसने पुलिस महकमे के बारे में मेरे पूर्वाग्रह को कम किया..........हुआ कुछ यों कि मै मेट्रो स्टेशन के बाहर मै अपनी बस का इंतज़ार कर रहा था.....कि एक दीवान साहब आये और बेहिचक अधिकार स्वरुप वे रेहडी से दालमोठ उठा-उठा खाने लगे....मजे कि बात यह कि दूकान वाला कुछ व्यक्तिगत कारणों से कुछ दूर गया था ( शायद उनको कुछ ज्यादा जोर कि ही भूक लगी थी.)......तभी एक दुसरे साहब आये ....उनकी नेम प्लेट पर प्रधान सिपाही लिखा हुआ था.......उन्होंने उन दीवान महाशय को जमकर लताड़ लगाई.....और नशीहत पेश देने लगे की आप लोगो के कारण ही हमारे महकमे कि इतनी तौहीन होती है.....शर्म आनी चाहिए.....(आगे चंद अनिवार्य पुलिसिया शब्द)....भई वहा खड़े सभी लोगो के लिए मुफ्त का मनोरंजन मिल गया था सो सारे बड़े चाव से सारा प्रकरण देख रहे थे.......खैर जो भी हो .....अब मै कह सकता हु कि पुलिस महकमे में भी जहनी  लोग है......खैर इस सारे तमाशे के बीच मेरी कई बसे निकलती रही.... अंतत: कुछ देरी से मै घर पहुच सका.